भारत की आध्यात्मिक भूमि ने अनगिनत संतों, महापुरुषों और योगियों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने जीवन से लाखों लोगों को दिशा और प्रेरणा दी है। इन्हीं महान आत्माओं में से एक थे नीम करोली बाबा, जिन्हें उनके भक्त श्रद्धा से "महाराज-जी" कहकर पुकारते हैं। उनका जीवन चमत्कारों, भक्ति, प्रेम और सेवा का अद्भुत संगम था। बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे और ऐसा माना जाता है कि वे स्वयं हनुमान जी के अंशावतार थे। उन्होंने जो साधना, सेवा और भक्ति का मार्ग दिखाया, वह आज भी लाखों लोगों के जीवन में प्रकाश फैला रहा है।
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नीम करोली बाबा: हनुमान भक्ति में समर्पित एक दिव्य |
जन्म और प्रारंभिक जीवन
नीम करोली बाबा का जन्म 1900 ईस्वी में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक छोटे-से गाँव अकबरपुर में हुआ था। उनका वास्तविक नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था। वे एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार से थे और बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव रखते थे। समाज के नियमों के अनुसार उनका विवाह भी बाल्यावस्था में ही हो गया, लेकिन सांसारिक जीवन के प्रति उनकी रुचि नगण्य थी।
आत्मज्ञान की प्राप्ति और संन्यास
महज 17 वर्ष की उम्र में उन्हें आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई। इस अनुभव ने उनका जीवन हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने घर छोड़ दिया और एक संन्यासी का जीवन अपना लिया। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भटकते हुए साधना, ध्यान और तप में लीन रहे। इस दौरान वे कई नामों से जाने गए, लेकिन एक घटना के कारण लोग उन्हें "नीम करोली बाबा" कहने लगे।
एक बार वे उत्तर प्रदेश के एक गांव में नीम के पेड़ के नीचे साधना कर रहे थे। गांववाले उन्हें पहचान न सके और उन्हें ट्रेन से उतार दिया। तभी ट्रेन अपने आप रुक गई और जब तक बाबा को वापस नहीं बुलाया गया, वह नहीं चली। यह घटना इतनी प्रसिद्ध हुई कि उनके चमत्कारी स्वरूप की चर्चा दूर-दूर तक फैल गई और लोग उन्हें नीम करोली बाबा कहने लगे।
हनुमान भक्ति और चमत्कारी घटनाएं
नीम करोली बाबा भगवान हनुमान जी के अनन्य भक्त थे। वे अक्सर कहते थे कि "सब राम का खेल है।" उनका जीवन पूरी तरह हनुमान भक्ति और सेवा में समर्पित था। ऐसा माना जाता है कि वे स्वयं हनुमान जी के अवतार थे, जो मानव रूप में धरती पर आए।
बाबा के जीवन में अनेक चमत्कारी घटनाएं घटित हुईं। कहा जाता है कि उन्होंने कई लोगों की असाध्य बीमारियां ठीक कीं, असंभव को संभव किया और कई बार तो अपने भक्तों की पीड़ा बिना कहे ही जान ली। उनके संपर्क में आने वाले लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आना शुरू हो जाता था। उनका यह दिव्य प्रभाव आज भी उनके आश्रमों और मंदिरों में महसूस किया जा सकता है।
कैंची धाम की स्थापना
नीम करोली बाबा ने भारत के कई हिस्सों में आश्रम और हनुमान मंदिरों की स्थापना की, लेकिन उनका सबसे प्रसिद्ध आश्रम है कैंची धाम, जो उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। इस आश्रम की स्थापना बाबा ने 1960 के दशक में की थी और यह स्थान आज एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन चुका है। यहां हर साल 15 जून को भव्य वार्षिक समारोह आयोजित होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। बाबा की ऊर्जा और उपस्थिति यहां आज भी अनुभव की जा सकती है।
जीवन का अंत, लेकिन उपस्थिति अब भी जीवित
नीम करोली बाबा ने अपना पार्थिव शरीर 11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में त्याग दिया। लेकिन उनके भक्त मानते हैं कि बाबा कभी नहीं गए। वे आज भी अपने भक्तों की सहायता करते हैं, मार्गदर्शन देते हैं और संकटों से उबारते हैं। उनका आश्रम, उनकी शिक्षाएं और उनकी स्मृतियां, उनके जीवंत होने का प्रमाण हैं।
नीम करोली बाबा से जुड़ी रोचक बातें
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बाबा को अक्सर "कंबल वाले बाबा" कहा जाता था, क्योंकि वे हमेशा अपने शरीर पर एक साधारण कंबल ओढ़े रहते थे।
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कैंची धाम आश्रम में आज भी भक्त कंबल चढ़ाने की परंपरा निभाते हैं।
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अमेरिका के कई प्रख्यात लोग भी बाबा से प्रभावित हुए हैं। जैसे:
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स्टीव जॉब्स, जब अपने जीवन में दिशाहीन हो गए थे, तो वे भारत आए और कैंची धाम में कुछ समय बिताया।
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मार्क जुकरबर्ग, फेसबुक के संस्थापक, ने भी एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें स्टीव जॉब्स ने बाबा के आश्रम जाने की सलाह दी थी।
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प्रसिद्ध लेखक रामदास (पूर्व में रिचर्ड एलपर्ट), जिन्होंने “Be Here Now” जैसी प्रसिद्ध पुस्तक लिखी, बाबा के प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
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बाबा ने अपने जीवन में 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया। इन मंदिरों में आज भी उनकी भक्ति की गूंज सुनाई देती है।
शिक्षाएं और जीवन संदेश
नीम करोली बाबा ने किसी औपचारिक उपदेश या ग्रंथ की रचना नहीं की, लेकिन उनके जीवन से जो संदेश निकलते हैं, वे अत्यंत गहन और व्यावहारिक हैं:
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"सब राम की लीला है" – उनका यह संदेश बताता है कि हमें जीवन के हर अनुभव को प्रभु की इच्छा मानकर स्वीकार करना चाहिए।
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सेवा ही सच्ची साधना है – बाबा ने हमेशा लोगों की निस्वार्थ सेवा को सर्वोच्च साधना बताया।
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भक्ति में शक्ति है – उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि ईश्वर की सच्ची भक्ति से असंभव भी संभव हो सकता है।
निष्कर्ष
नीम करोली बाबा न केवल एक संत थे, बल्कि एक दिव्य चेतना थे, जिन्होंने हनुमान भक्ति, प्रेम, सेवा और मानवता को अपने जीवन से जीकर दिखाया। उनका प्रभाव आज भी करोड़ों लोगों के जीवन को दिशा दे रहा है। उनका जीवन यह सिखाता है कि सच्चा संत वह है जो बिना दिखावे के, प्रेमपूर्वक और निस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करे।
यदि आप नीम करोली बाबा के चमत्कारों, शिक्षाओं और जीवन से जुड़ी और जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आप इस विषय पर उपलब्ध वीडियो, पुस्तकों और आश्रम की वेबसाइट पर अधिक जान सकते हैं।
"जय हनुमान! जय महाराज जी!"
Good information
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