भानगढ़ किला: रहस्यमयी किंवदंतियों से घिरा एक ऐतिहासिक धरोहर
![]() |
राजस्थान के अलवर जिले की अरावली पहाड़ियों की गोद में स्थित भानगढ़ किला न सिर्फ अपने ऐतिहासिक महत्व, बल्कि अपनी रहस्यमयी और भूतिया कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह किला भारत के उन चुनिंदा स्थलों में से एक है, जिसे "भूतिया" घोषित किया गया है और सूर्यास्त के बाद यहां प्रवेश निषिद्ध है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, सूरज ढलने के बाद और सूर्योदय से पहले किसी को भी इस किले के अंदर जाने की अनुमति नहीं है। इस किले के साथ जुड़ी दो प्रमुख कहानियाँ हैं जो इसे रहस्य और रोमांच से भर देती हैं।
1. साधु बालू नाथ का श्राप
भानगढ़ किले की पहली कहानी साधु बालू नाथ से जुड़ी है। कहा जाता है कि जब राजा माधो सिंह ने इस किले का निर्माण कराने का निर्णय लिया, तो उन्होंने सबसे पहले उस क्षेत्र में तपस्या कर रहे साधु बालू नाथ से अनुमति ली। साधु ने सहमति तो दी, लेकिन एक शर्त के साथ – कि किले की छाया उनके ध्यान स्थल पर नहीं पड़नी चाहिए। राजा ने यह शर्त स्वीकार कर ली और किले का निर्माण शुरू हुआ। लेकिन जैसे-जैसे किला ऊँचा होता गया, उसकी छाया धीरे-धीरे साधु के तपोस्थल तक पहुँच गई। इससे साधु अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने किले को श्राप दे दिया कि वह और उसके आस-पास का इलाका जल्द ही वीरान और निर्जन हो जाएगा। कथाओं के अनुसार, साधु का यह श्राप सच साबित हुआ और किला जल्द ही उजड़ गया।
2. तांत्रिक और राजकुमारी रत्नावती की कहानी
दूसरी कहानी एक तांत्रिक सिंधु सेवड़ा और भानगढ़ की सुंदर राजकुमारी रत्नावती से जुड़ी है। रत्नावती की सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक फैली थी और कई राजकुमार उससे विवाह करना चाहते थे। उसी समय एक तांत्रिक ने भी उस पर मोहित होकर उसे पाने की ठानी। उसने काले जादू का सहारा लेते हुए एक इत्र की बोतल में वशीकरण मंत्र डाला और उसे राजकुमारी तक पहुंचाने की योजना बनाई। लेकिन राजकुमारी उसकी चाल समझ गई और उस इत्र की बोतल को एक पत्थर पर दे मारा, जिससे वह तांत्रिक की ओर लुढ़क गया। बोतल का प्रभाव तांत्रिक पर ही पड़ा और वह उसी क्षण मर गया। मरते समय उसने पूरे भानगढ़ को श्राप दे दिया कि यह नगर नष्ट हो जाएगा और यहां कोई भी शांति से नहीं रह पाएगा। इसके बाद जल्द ही भानगढ़ का पतन हो गया।
3. भूतिया वातावरण और लोककथाएं
भानगढ़ किले के आसपास के स्थानीय लोग मानते हैं कि वहां आज भी अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं। रात के समय लोगों ने वहां से चीखने-चिल्लाने की आवाजें, परछाइयों की हलचल और अजीब सी गतिविधियां महसूस की हैं। कुछ पर्यटकों ने बताया है कि उन्होंने अचानक ठंडी हवा का झोंका महसूस किया या ऐसा लगा जैसे कोई अदृश्य शक्ति उनके पास से गुजरी हो। इसीलिए लोग शाम ढलने के बाद इस क्षेत्र से दूरी बनाकर रखते हैं।
निष्कर्ष
भले ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इन कहानियों को कल्पना और लोककथाओं का मिश्रण माना जाए, लेकिन भानगढ़ किले का रहस्यमयी वातावरण आज भी लोगों को रोमांचित करता है। यह किला इतिहास, लोकश्रुतियों और अद्भुत वास्तुकला का संगम है। पर्यटकों के लिए यह स्थान एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है – जहां इतिहास और रहस्य एक साथ सांस लेते हैं। भानगढ़ न सिर्फ एक धरोहर है, बल्कि भारतीय संस्कृति में रहस्य और आध्यात्म का अद्भुत उदाहरण भी है।