Wednesday, February 26, 2025

हमारा‌ कासगंज

इतिहास

जिला कासगंज (कांशीराम नगर के रूप में पूर्व नाम) का गठन 17 अप्रैल 2008 को एटा जिले के कासगंज, पटियाली और सहावर तहसील को प्रथक करके किया गया था। शुरू में, जिले का नाम एक राजनीतिज्ञ के नाम पर था, कांशी राम जिले में पैदा हुए संत तुलसीदास और अमीर खुसरो जिले की पटियाली तहसील से संबंधित हैं। 


प्रसिद्ध तीर्थ स्थान


यहाँ सोरों एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान भी है, जो भगवान् विष्णु के वराह अवतार से सम्बंधित हैं । माना जाता है कि सोरों महान भारतीय कवि तुलसीदास का जन्मस्थान है, जिन्होंने श्री राम की प्रशंसा में रामचरितमानस की रचना की थी। पौराणिक कहानियों के अनुसार, यह माना जाता है कि दानव हिरण्यकष ने पृथ्वी को चुरा लिया और इसे सोरों के कुंड में छिपा दिया। भगवान विष्णु ने तब वराह कां अवतार ले लिया, दानव को मार डाला और पृथ्वी को अपनी मूल स्थान पर बहाल किया।




नदरई पुल

इसे झाल ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण गंगा नहर और काली नदी पर किया गया है। इसका निर्माण 1885 से 1889 के बीच हुआ था। इसकी लंबाई 346 मीटर है और इसकी डिस्चार्ज क्षमता 7095 क्यूसेक है। यह सिंचाई विभाग का ऐतिहासिक एवं शानदार उदाहरण है। यहां वास्तुकला का अध्ययन करने के लिए अलीगढ़, आगरा आदि विश्वविद्यालयों के छात्र आते हैं



भीमसेन घंटा

भीमसेन घंटा नदरई गांव के भीमसेन मंदिर में स्थित है। एक वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है जिसे भीमसेन मेला कहा जाता है। इसे 84 मन घंटा भी कहा जाता हैl






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