Friday, March 14, 2025

यूनेस्को (UNESCO) की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल - होली (HOLI)

 होली को वैश्विक पहचान मिलने का विषय भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की एक महत्वपूर्ण और रोमांचक घटना को दर्शाता है। भारत, जिसे त्योहारों और मेलों का देश माना जाता है, की संस्कृति में होली का स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह त्योहार न केवल रंगों और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह प्रेम, भाईचारे और सामूहिकता की भावना का भी संवर्धन करता है। हालांकि, अब तक होली को वह वैश्विक पहचान नहीं मिल पाई थी, जिसके यह हकदार है। लेकिन अब भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए पहल कर रहा है और होली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (Intangible Cultural Heritage - ICH) सूची में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में होली का समावेश

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होने के लिए संस्कृति मंत्रालय ने होली के विभिन्न रूपों को शामिल करने का प्रस्ताव तैयार किया है। होली का पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है और इस विविधता को ध्यान में रखते हुए ही होली को इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। इस सूची में होली के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में गाए जाने वाले फाग गीतों को भी शामिल किया जाएगा, जो इस पर्व की सांस्कृतिक गहराई और विविधता को दर्शाते हैं। विशेष रूप से, मथुरा, वृंदावन, बरसाना, और काशी जैसे स्थानों में मनाई जाने वाली होली के विभिन्न रंगों को प्रमुखता दी जाएगी।

भारत के संस्कृति मंत्रालय का यह कदम भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रसार के लिहाज से महत्वपूर्ण है। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होने से न केवल होली का महत्व बढ़ेगा, बल्कि यह अन्य देशों में भी भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में जागरूकता उत्पन्न करेगा।

होली का सांस्कृतिक महत्व

होली, जिसे रंगों का पर्व कहा जाता है, भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह त्योहार हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है और यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली का पर्व सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर न केवल खुशी का इज़हार करते हैं, बल्कि पुरानी दुश्मनियों को भी समाप्त करने और नए रिश्तों की शुरुआत करने का संदेश देते हैं।

भारत के विभिन्न हिस्सों में होली को मनाने का तरीका अलग-अलग होता है। मथुरा और वृंदावन में होली विशेष रूप से कृष्ण के साथ मनाई जाती है, जबकि बरसाना में होली में लठमार होली का आयोजन किया जाता है, जो अपने आप में एक अनूठा और आकर्षक पहलू है। काशी में भी होली का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं और पारंपरिक गीतों के साथ इस पर्व को मनाते हैं। इन विभिन्न रूपों और तरीकों से होली न केवल भारत के सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और सामूहिकता की भावना को भी प्रकट करती है।

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होने के लिए किसी परंपरा या त्योहार को वैश्विक स्तर पर महत्व देने का उद्देश्य उसे संरक्षित करना और उस परंपरा की शिक्षा को पूरे विश्व में फैलाना होता है। इस सूची में शामिल किए जाने से उस परंपरा या संस्कृति को एक अंतरराष्ट्रीय मंच मिलता है, जिससे उसकी पहचान और महत्व वैश्विक स्तर पर स्थापित होता है।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर की सूची में पहले ही कई महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:

  1. महाकुंभ मेला: यह मेला हर 12 साल में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित होता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है।
  2. दुर्गा पूजा: कोलकाता में मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा भी यूनेस्को की सूची में शामिल है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है।
  3. रामलीला: रामायण के विभिन्न प्रसंगों का मंचन रामलीला के रूप में किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  4. गरबा नृत्य: यह गुजरात का पारंपरिक नृत्य है, जिसे हाल ही में यूनेस्को की सूची में शामिल किया गया।
  5. छऊ नृत्य: पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला यह पारंपरिक नृत्य भी इस सूची में शामिल है।

इन त्योहारों और परंपराओं के यूनेस्को की सूची में शामिल होने से भारत की सांस्कृतिक विविधता और धरोहर को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है। होली के लिए भी यह अवसर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

होली और भारतीय संस्कृति

भारत में होली का पर्व सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि यह समाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक अवसर है। इस दिन का महत्व धार्मिक रूप से भी गहरा है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ है, जो इस दिन रंगों से खेलते थे। इसके साथ ही होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत, बुरे विचारों और कार्यों का नाश करने, और अपने दिलों में शुद्धता और प्रेम का संचार करने का प्रतीक है।

यह त्योहार भारतीय समाज में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों के बीच एकता और सामूहिकता का प्रतीक बनता है। होली के दौरान लोग न केवल एक-दूसरे के साथ रंगों से खेलते हैं, बल्कि एक-दूसरे के घर जाकर मिठाईयाँ खाते हैं, नए रिश्तों की शुरुआत करते हैं, और पुराने रिश्तों को मजबूत करते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से भारतीयता की भावना को प्रदर्शित करता है, जिसमें जातिवाद, धर्म और सांस्कृतिक भेदभाव को दरकिनार कर एकजुट होने की भावना होती है।

नतीजा

होली का यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सूची में शामिल होना न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह एक वैश्विक पहचान और मान्यता के रूप में कार्य करेगा। यह भारतीय संस्कृति को दुनिया के सामने एक नए और महत्वपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत करेगा। इस पहल से भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर और अधिक सम्मान मिलेगा और इसे एक समृद्ध और विविध संस्कृति के रूप में देखा जाएगा। साथ ही, यह अन्य देशों के बीच भारत की सांस्कृतिक परंपराओं की समझ को भी बढ़ाएगा और भारत की सांस्कृतिक धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक संरक्षित रखने में मदद करेगा।

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