हनुमान जन्मोत्सव: एक विशेष आध्यात्मिक पर्व
हनुमानजी को एकमात्र ऐसे देवता माना जाता है जो आज भी जीवित हैं और धरती पर वास करते हैं। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। उनका चरित्र अटल भक्ति, अपार बल, बुद्धि और विनम्रता का प्रतीक है। विशेष रूप से हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंबाण जैसे पाठों का अत्यधिक महत्व है। इनका नियमित पाठ करने से जीवन की हर बाधा, भय और नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है, और कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
भारत के विभिन्न भागों में हनुमान जन्मोत्सव अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह पर्व चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल राज्यों में मार्गशीर्ष मास की अमावस्या को और ओडिशा में वैशाख मास के पहले दिन इसे मनाया जाता है। इसी कारण से साल में दो बार यह पर्व देखने को मिलता है। यह विविधता इस बात की ओर संकेत करती है कि हनुमानजी का प्रभाव भारत के हर कोने में गहराई से व्याप्त है।
एक रोचक बात यह है कि हनुमान जी अमर माने जाते हैं। इसलिए उनके जन्म दिवस को 'जयंती' कहने की बजाय 'जन्मोत्सव' कहना अधिक उचित माना जाता है। जैसे हम श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और श्रीराम जन्मोत्सव कहते हैं, वैसे ही हनुमान जन्मोत्सव भी एक उत्सव है — न कि केवल एक तिथि विशेष। यह न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह आत्मबल, सेवा, समर्पण और भक्ति का संदेश देने वाला आध्यात्मिक आयोजन भी है।
हनुमान जन्मोत्सव न केवल उनके जन्म की स्मृति है, बल्कि यह अवसर है उनके गुणों को अपने जीवन में उतारने का — ताकि हम भी धैर्य, निष्ठा और वीरता से जीवन के संघर्षों का सामना कर सकें। इस दिन की गई सच्चे भाव से पूजा, मन, वचन और कर्म को पवित्र बनाती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है।
No comments:
Post a Comment