Sunday, April 27, 2025

तनोट माता मंदिर – भारत की सीमा पर आस्था का चमत्कारी स्थान

तनोट माता मंदिर भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर जिले में स्थित है। यह मंदिर भारत-पाकिस्तान सीमा के बहुत नजदीक बना हुआ है और अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी हिंगलाज माता के एक स्वरूप – तनोट राय माता को समर्पित है। यह स्थान ना केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत के गौरवशाली इतिहास और सैनिकों की बहादुरी का प्रतीक भी है।


स्थापना और इतिहास

तनोट माता मंदिर का निर्माण विक्रमी संवत 828 में भाटी राजपूत शासक तणुराव ने करवाया था। मंदिर का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है और यह स्थानीय लोगों, खासकर राजपूतों और ग्रामीण जनजातियों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। यह मंदिर थार के रेगिस्तान के बीच स्थित है और दूर-दूर से श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शन के लिए आते हैं। देवी का स्वरूप तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का अवतार माना जाता है। हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है, लेकिन तनोट माता मंदिर को उनका भारतीय रूप माना जाता है। श्रद्धालु तनोट माता को शक्ति, सुरक्षा और रक्षा की देवी मानते हैं। 1965 का भारत-पाक युद्ध 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। उस समय पाकिस्तान की सेना ने इस क्षेत्र पर कई बम गिराए, जिनमें से करीब 450 बम तनोट माता मंदिर के पास गिरे। हैरानी की बात यह थी कि इनमें से एक भी बम न तो मंदिर पर गिरा और न ही कोई बम फटा। यह घटना एक चमत्कार के रूप में देखी गई और लोगों की माता तनोट के प्रति आस्था और भी गहरी हो गई। भारतीय सैनिकों ने भी माना कि माता ने उनकी रक्षा की। 1971 का युद्ध और बीएसएफ की भूमिका इसके बाद 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी तनोट माता मंदिर के पास की पोस्ट पर बड़ी लड़ाई हुई, जिसे "लोन्गेवाला की लड़ाई" कहा जाता है। भारतीय सैनिकों ने बहुत बहादुरी से पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट को रोका और एक बड़ी जीत हासिल की। इसके बाद से ही इस मंदिर की देखरेख भारत की सीमा सुरक्षा बल (BSF) द्वारा की जा रही है। बीएसएफ के जवान यहाँ नियमित रूप से पूजा करते हैं और मंदिर की सुरक्षा में लगे रहते हैं। श्रद्धा और परंपराएं तनोट माता मंदिर में भक्त अपनी मनोकामनाओं के साथ आते हैं। यहाँ एक खास परंपरा है – लोग माता से मन्नत मांगने के बाद मंदिर परिसर में रुमाल बाँधते हैं। जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वे वापस आकर माता का धन्यवाद करते हैं। यह मंदिर साल भर देशभर से भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर का संग्रहालय मंदिर परिसर में एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण संग्रहालय भी है। इसमें 1965 और 1971 के युद्धों से जुड़ी वस्तुएँ जैसे कि बम, सैनिकों के हथियार, तस्वीरें और दस्तावेज रखे गए हैं। यह संग्रहालय भारत की सैन्य शक्ति और माता तनोट की चमत्कारी गाथा का प्रमाण देता है। निष्कर्ष तनोट माता मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत की आस्था, बहादुरी और चमत्कार की अद्भुत कहानी है। यह मंदिर दर्शाता है कि कैसे विश्वास और शक्ति, युद्ध जैसी कठिन परिस्थितियों में भी रक्षा कर सकती है। आज भी जब भक्त माता के दरबार में सिर झुकाते हैं, तो उन्हें न केवल धार्मिक संतोष मिलता है, बल्कि देशभक्ति की भावना भी जागती है। क्या आप कभी तनोट माता मंदिर गए हैं?


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